होली खेलना भारतय परम्परा है पर होली पर आज कल होली के रंग में जो मिलावट और केमिकल आरहे है उससे भी आपको थोड़ा सावधान रह्ना होगा मगर हो सकती है इनका साइड इफेक्ट आंख, नाक, कान, बाल पर हो सकता है। होली के हुड़दंग का बॉडी के इंटरनल और एक्सटरनल दोनों तरह के हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है। इस हुड़दंग में किसी की आंख खराब हो जाती हैं, तो कुछ की त्वचार खराब हो जाती है। इसलिए इस होली पर आप भी ऐसे केमिकल वाले रंगों और गुलाल से सावधान रहें। खुद को ऐसे रंगों से बचाएं और दूसरे पर भी ऐसे रंग इस्तेमाल नहीं करें।
आंखों को ज्यादा नुकसान सेंटर फॉर साइट की डॉक्टर रितिका सचदेव का कहना है कि होली के बाद आखों में एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस, केमिकल से जलना, कॉर्नियल एब्रेजन, ब्लंट आई इंजुरी की समस्या लेकर ज्यादा लोग आते हैं। आंखों में अगर रंग चला जाए, तो आंखें लाल हो जाती हैं और इनमें खुजली या जलन होने लगती है। अगर रंग-गुलाल खेलने के बाद ये लक्षण एक-दो दिन में ठीक नहीं हों, तो फौरन आंखों के डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
अगर आप होली का रंग खेल रहे हैं तो आंखों का विशेष ध्यान रखें. इसमें अगर रंग पड़ जाता है तो पुतलियों का काफी नुकसान दे सकता है. इस कारण होली खेलने के दौरान आंखों में चश्मा पहनें, ताकि सामने वाला व्यक्ति चेहरे पर रंग लगाने के दौरान आंखो में न लगा सके. हो सके तो आप भी लोगों के आंखो को बचाकर ही दूसरे को रंग लगाए
होली खेलने से पहले पूरे शरीर में कड़वा तेल या कोई चिकनाई युक्त लोशन या क्रीम लगाएं, ताकि चिकनाई होने के कारण शरीर में रंग असर नहीं करेगा होली के अगले दिन स्किन पर इन्फेक्शन के ढेरों मामले आते हैं। स्कीन का कलर बदलना, खुजली होना या जलन होना कॉमन दिक्कत है। उनका कहना है कि रंग में मिले केमिकल स्कीन के संपर्क में आते हैं तो स्कीन पर मौजूद छोटे छोटे टिश्यू को मारना शुरू कर देते हैं। जहां ज्यादा असर होता है
वहां इन्फेक्शन ज्यादा देखा जाता है। प्राकृतिक रंग के इस्तेमाल से इस दिक्कत से बचा जा सकता है। सिंथेटिक रंगों में हाइड्रोकार्बन, हाइड्रो क्यूनोंस, पैराबेन्स आदि हानिकारक रसायन होते हैं, जो स्किन पर खराब असर डालते हैं। इन रंगों के इस्तेमाल से त्वचा पर खुजली, लाली, चकत्ते, फफोले, स्किन काली होने जैसी शिकायतें आ सकती हैं। समय रहते इलाज न कराने पर संक्रमण भी हो सकता है य्र्स लगन ने पर डॉक्टर की सलाह जरूर ले